NavIC: भारत का अपना GPS, जो अब दुनिया को टक्कर दे रहा है

NavIC: भारत का अपना GPS, जो अब दुनिया को टक्कर दे रहा है

NavIC, भारत का खुद का सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम, सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता की असली पहचान है। जानिए ये क्यों खास है, और हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कैसे काम आता है।

सच कहूं तो, GPS पर भरोसा अब पुरानी बात हो गई है    
आपने भी किया होगा फोन में गूगल मैप खोला, लोकेशन अजीब दिख रही है, आप इधर-उधर घूम रहे हैं और फोन को कुछ समझ नहीं आ रहा।    
हुआ है ना?वही तो दिक्कत है जब दूसरों के सिस्टम पर भरोसा करना पड़ता है।    
अब सोचिए अगर इंडिया के पास खुद का GPS हो, जो इंडिया के हिसाब से बना हो, हमारी गलियों को, हमारे रास्तों को समझता हो?  बस वही है NavIC Navigation with Indian Constellation  


तो NavIC है क्या?  

टेक्निकल बातें छोड़ते हैं।  

सिंपल भाषा में NavIC मतलब भारत का अपना सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम।  

जैसे अमेरिका के पास GPS, रूस के पास GLONASS, यूरोप का Galileo और चीन का Beidou वैसे ही भारत का है NavIC  

ये ISRO ने बनाया है और वो भी बिना ज़्यादा शोर किए।  

GPS ग्लोबल है, NavIC रीजनल है लेकिन इंडिया के लिए ज्यादा सटीक और भरोसेमंद।  

 

अब सवाल इसकी जरूरत ही क्यों थी?  

जवाब: भरोसा। या कहें, भरोसे की कमी।  

1999 की बात है करगिल युद्ध के समय इंडिया को GPS डेटा चाहिए था। अमेरिका ने मना कर दिया।  

सोचिए, जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तब मना कर दिया गया।  

वहीं से तय हो गया अब किसी और पर निर्भर नहीं रहना।  

अब अपना सिस्टम चाहिए। अपनी टेक्नोलॉजी। अपने हाथ में कंट्रोल।  

 

NavIC (Navigation with Indian Constellation) - India’s Satellite Based Navigation System

NavIC का इस्तेमाल तो अभी भी हो रहा है चुपचाप  

दिलचस्प बात ये है आप शायद आज भी NavIC यूज़ कर रहे हों और आपको पता भी न हो।  

कई स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट आ चुका है।  

कुछ डिलीवरी कंपनियाँ NavIC की टेस्टिंग कर रही हैं।  

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मछुआरों को NavIC वाले डिवाइस दिए गए हैं ताकि वो गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस न कर लें।  

और तो और नेचुरल डिज़ास्टर्स (बाढ़, सूनामी, साइक्लोन) के वक्त ये नेटवर्क बिना इंटरनेट के अलर्ट भेज सकता है।  

सोचिए, इंटरनेट गया हो फिर भी अलर्ट पहुंचे यही तो असली इनोवेशन है।  

 

फिर इतनी बात क्यों नहीं होती?  

क्योंकि हम अब भी मानते हैं कि बाहर की टेक्नोलॉजी = बेहतर टेक्नोलॉजी।  

GPS, Google, Apple ये नाम “कूल” लगते हैं। NavIC? थोड़ा साधारण सा लगता है, है ना?  

पर यही तो कमाल है इंडियन टेक्नोलॉजी चुपचाप काम करती है। दिखावा नहीं करती।  

पर एक बार जब चलती है… तो रुकती नहीं।  

हम बस तब वाहवाही करते हैं जब कोई विदेशी मीडिया तारीफ कर दे।  

कभी-कभी लगता है जब तक बाहर वाले तारीफ न करें, हम खुद अपनी ताकत को नहीं पहचानते। 😔  

 

दिक्कतें हैं, लेकिन रास्ता साफ है  

चलो, सच मानते हैं अभी NavIC ग्लोबल नहीं है, और सभी फोन्स में नहीं आता।  

पर धीरे-धीरे सपोर्ट बढ़ रहा है Samsung, Xiaomi, Realme जैसे ब्रांड अब इसे शामिल कर रहे हैं।  

सरकार तो चाहती है कि इंडिया में बिकने वाले हर फोन में NavIC ज़रूर हो।  

मतलब, जो सपना 10 साल पहले बोया गया था अब वो पेड़ बन रहा है। 🌳  

 

आखिर में ये सब क्यों ज़रूरी है?  

क्योंकि जब डेटा ही शक्ति है, कंट्रोल ही सब कुछ है तब खुद का सिस्टम होना मतलब आज़ादी।  

NavIC सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं है।  

ये एक स्टेटमेंट है कि अब हमें किसी से पूछने की ज़रूरत नहीं।  

और शायद अगली बार जब मैं कहीं रास्ता भटक जाऊं,  

तो कोई विदेशी सैटेलाइट नहीं, हमारा NavIC मुझे घर तक पहुंचाए।  

अब बाकी दुनिया देखती रहे हम तो आगे बढ़ चुके हैं।